बंधुआ मजदूर वह व्यक्ति है जो किसी ऋणदाता को लिए गए ऋण को चुकाने के बदले उसके लिए श्रम करता है या सेवाएँ देता है। इन्हें ‘अनुबद्ध श्रमिक’ या ‘बंधक मजदूर’ भी कहते हैं। कभी-कभी बंधुआ मजदूरी एक पीढी से दूसरी पीढ़ी तक चलती रहती है।
बंधुआ मजदूरी की परिभाषा को निम्नलिखित रूप से समझा जा सकता है:
- बंधुआ मजदूरी एक प्रकार का श्रम शोषण है जिसमें मजदूर को अपने ऋण को चुकाने के लिए ऋणदाता के लिए अमानवीय परिस्थितियों में काम करना पड़ता है।
- बंधुआ मजदूरी में मजदूर को अपने ऋण को चुकाने के लिए पर्याप्त वेतन नहीं दिया जाता है।
- बंधुआ मजदूरी में मजदूर को अपने ऋण को चुकाने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया जाता है।
- बंधुआ मजदूरी में मजदूर को अपने ऋण को चुकाने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं दिया जाता है।
बंधुआ मजदूरी के कारण निम्नलिखित हैं:
- गरीबी
- अशिक्षा
- सामाजिक भेदभाव
- आर्थिक शोषण
- राजनीतिक अस्थिरता
बंधुआ मजदूरी के प्रभाव निम्नलिखित हैं:
- मजदूरों का आर्थिक और सामाजिक शोषण
- मजदूरों की मानवाधिकारों का हनन
- समाज में असमानता का बढ़ना
- देश की आर्थिक विकास में बाधा
भारत में बंधुआ मजदूरी की समस्या एक गंभीर समस्या है। भारत सरकार ने बंधुआ मजदूरी को समाप्त करने के लिए कई कानून बनाए हैं, लेकिन फिर भी बंधुआ मजदूरी की समस्या समाप्त नहीं हो पाई है।
बंधुआ मजदूरी को समाप्त करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- गरीबी और अशिक्षा को दूर करना
- सामाजिक भेदभाव को दूर करना
- आर्थिक शोषण को रोकना
- राजनीतिक अस्थिरता को दूर करना
- बंधुआ मजदूरी के खिलाफ जागरूकता फैलाना
- बंधुआ मजदूरों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना
- बंधुआ मजदूरों को कानूनी सहायता प्रदान करना
बंधुआ मजदूरी एक गंभीर मानवाधिकारों का उल्लंघन है। इसे समाप्त करने के लिए सभी को एक साथ मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है।