करुण रस (Compassion or Pathos) भारतीय काव्यशास्त्र में नव रसों में से एक प्रमुख रस है। इसका स्थायी भाव शोक है। जब कोई व्यक्ति किसी दु:खद परिस्थिति, हानि या अपनों के वियोग का अनुभव करता है और यह भावना काव्य, साहित्य या नाटक में प्रस्तुत होती है, तो करुण रस की उत्पत्ति होती है। यह रस पाठक या दर्शक के हृदय में संवेदनशीलता और सहानुभूति उत्पन्न करता है।
करुण रस की परिभाषा (Karun Ras Ki Paribhasha)
“जब किसी काव्य, नाटक या कथा में पात्रों की दु:खद स्थिति, हानि, वियोग या त्रासदी का चित्रण होता है और इससे पाठक या दर्शक के मन में शोक या सहानुभूति उत्पन्न होती है, तो उसे करुण रस कहते हैं।”
स्थायी भाव: शोक
संचारी भाव: चिंता, भय, व्यथा, अवसाद, दीनता आदि।
अभिनय: करुण रस का प्रभाव अभिनय में आंसुओं, धीमी गति, और दु:खभरी वाणी के माध्यम से व्यक्त किया जाता है।
करुण रस के उदाहरण
1. महाभारत का उदाहरण:
जब अभिमन्यु की मृत्यु का वर्णन किया गया है, तो अर्जुन और सुभद्रा का दु:ख करुण रस का सजीव चित्रण है। अभिमन्यु की वीरगति के बाद सुभद्रा का विलाप पाठकों को शोक से भर देता है।
उदाहरण:
“हाय मेरे लाल! तूने क्यों हमें छोड़ दिया? यह अनाथ माँ तुझ बिन कैसे जीवित रहेगी।”
2. रामायण का उदाहरण:
रामायण में सीता हरण के समय भगवान राम का सीता को खोजते हुए विलाप करना करुण रस का उत्तम उदाहरण है।
उदाहरण:
“हे सीते! कहाँ हो तुम? यह राम तुम्हारे बिना कैसे जीवित रहेगा। हे विधाता, मेरी प्रिया को वापस कर दो।”
3. मीरा बाई के पद:
मीरा के पदों में श्रीकृष्ण के वियोग में उनकी करुणा स्पष्ट रूप से व्यक्त होती है।
उदाहरण:
“पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
वियोग की वेदना से भरा यह पद करुण रस का उत्कृष्ट उदाहरण है।”
करुण रस की विशेषताएँ
- मानवीय संवेदनाओं का चित्रण: करुण रस जीवन की गहन पीड़ा और हृदय की कोमलता को उजागर करता है।
- सहानुभूति उत्पन्न करना: यह रस दर्शक और पाठक के मन में संवेदनशीलता और सहानुभूति जगाता है।
- नायक की दु:खद स्थिति: करुण रस मुख्यतः नायक या पात्र की दुर्दशा से संबंधित होता है।
- संचार माध्यम: काव्य, नाटक, कथा, और लोकगीतों में करुण रस का प्रमुख उपयोग होता है।
निष्कर्ष
करुण रस साहित्य और काव्य का ऐसा अंग है जो मानवीय भावनाओं की गहराई तक पहुंचता है। यह न केवल पाठकों और दर्शकों को भावुक करता है, बल्कि उनमें संवेदनशीलता और मानवीयता को भी जागृत करता है। रामायण, महाभारत और मीरा बाई के पद जैसे साहित्यिक कृतियों में करुण रस का अनूठा चित्रण देखने को मिलता है।