virodhabhas alankar ke udaharan

virodhabhas alankar ke udaharan

विरोधाभास अलंकार का अर्थ है, विरोधी भावों का एक साथ प्रयोग। इसमें एक ही वाक्य में दो विरोधी भावों को व्यक्त किया जाता है। यह अलंकार कविता में चमत्कार उत्पन्न करता है।

virodhabhas alankar ke udaharan

उदाहरण:

  • “मृत्युं जयति त्रिलोकीनाथ।” (विजयी होता है मृत्यु पर त्रिलोकीनाथ।)

  • “यह गोदावरी विसमय, अमृतन के फल देत।” (यह गोदावरी विचित्र है, अमृत के फल देती है।)

  • “केसव जीवन हार कौ, दुख असेस हरि लेत।” (कृष्ण ने जीवन त्याग दिया, परंतु दुख को हर लिया।)

विरोधाभास अलंकार के भेद:

विरोधाभास अलंकार के दो भेद हैं:

  • सद्-असद् विरोधाभास: इस भेद में, सत् और असत् भावों का विरोध किया जाता है। जैसे, “मृत्युं जयति त्रिलोकीनाथ।”
  • गुण-अगुण विरोधाभास: इस भेद में, गुण और अभाव भावों का विरोध किया जाता है। जैसे, “यह गोदावरी विसमय, अमृतन के फल देत।”

विरोधाभास अलंकार का प्रयोग

विरोधाभास अलंकार का प्रयोग कविता, गीत, कहानी, नाटक आदि में चमत्कार उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। यह अलंकार कविता में नयापन और रोचकता लाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *